आश्रम का इतिहास
यह एक प्राचीन आश्रम है, सदियों पहले यह भुभि अगस्त्य ऋषी जी की तपोभुमि रही है, यह हमारे भारत व बून्देलखण्ड के प्राचीन तपोभुमि मे एक है, यह भुमि झाँसी से लगभग – 15 km की दुरी पर सैयर (बिजौली) ओरछा रोड से लगभग 500 fit की ऊंचाई पर स्थित है, यह एक सिद्ध क्षेत्र है, यहा ओरछा सम्राज्य के समयकाल मे इस आश्रम में बुढे महादेव (बाबा बलखंडेश्वर् महादेव जी) के मंदिर का जिर्णोधार कराया गया था, यहा हर वर्ष लाखो श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों के दर्शन व् प्राकृतिक सौंदर्य के लिए उमड़ती है, यहा सदियों से माता रानी जी का अखण्ड ज्योत प्रज्वलित है। इसी मंदिर के प्रागंण मे की धुना सरकार प्रज्वलित है। इस भूमी मे कई सदियों से है, नागा संयासी अपने मंत्रो की आहुतिया देते आये है। यह सिद्ध पहाड़ लगभग काफी एकड़ो मे फैला हुआ है। और इसी मंदिर के प्रागंण में माता रानी जी,
अन्नपुर्णा माँ
पाताली हनुमान जी,
रामराजा सरकार
ठाकुर बाबा
सिद्ध बाबा,
ब्रहम-ताल, सिद्ध बावड़ी, गौशाला,यज्ञशाला, वृहद भव्य कला मंच, व अतिथि विश्राम गृह ऑफिस एवं मंदिर बना है।
यहा पत्येक वर्ष समाज के कल्याण हेतु नौ-कुण्डीय यज्ञ व गरीब कन्याओ का सामुहिक विवाह का कार्यक्रम वर्तमान नागा संयासी श्री आनंद गिरि महाराज जी के द्वारा करवाया जाता है। व सभी मंदिरो के पुजा-अर्चणा नागा संयासी संत रामगिरि महाराज जी के द्वारा किया जाता है।
ट्रस्ट का उद्देश्य
प्राणियों के सदभावना व विश्व के सभी समाज कल्याण हेतु पूज्य गुरु सरकार श्री आनंद गिरि महाराज नागा संयासी जी के द्वारा संस्कृत विद्यापीठ गुरुकुल का निर्माण कर हर समाज के गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिया जाना जिससे हमारे भारतीय के संस्कृति को बढ़ाबा मिलेगा
सनातन धर्म व मानवता की रक्षा हेतु समी प्राणियों में सनातन के संस्कार, सत्य-प्रेम, दया-धर्म एवं संस्कृत की शिक्षा को बढावा देना ही एम मात्र उद्देश्य है